Friday 24 February 2012

होली पर मेरा प्रयास


१-शीतल और सुगन्धित चन्दन

मस्तक का करता अभिनन्द

२-चौक चौराहे मचा धमाल

उड़ा अबीर साथ गुलाल

३-पीत परिधान फसल ने पहना

झिलमिला रहा है कृषक पसीना

४-होली के रंग छटा बिखराए

सराबोर तन -मन हो जाए

५-पिचकारी ने मान बढ़ाया

टेसू पानी संग इतराया

Tuesday 21 February 2012

विवादों से दूर ....दो पंक्तियाँ ..............
..१----
.मुमताज 'महल' में सोयी 'जहाँ' है ..........
...एक शाह का जहाँ वहां है ..................
२-
..श्वेत 'संग' की एक इमारत
..'संग' त्तराश ने लिखी इबारत ......