Monday 10 June 2013

बरखा रानी बरखा रानी









बरखा रानी बरखा रानी 
मत करो अपनी मनमानी 
सता चुके हैं सूरज दादा 
अब लेकर आजाओ पानी 
छुट्टियाँ बीती नानी के घर 
पसीना बहा खूब अंजुली भर 
मंच सज़ा है आओ तो 
आकर मुह दिखलाओ तो 
हर आहट पर इंतज़ार है 
गर्मी से हुए बेज़ार हैं
आओ अपना कद पहचानो 
अपनी एहमियत को जानो 
मंतव्य हमारा पूरा करदो 
सबके मन खुशियों से भर दो 
अभिनन्दन को खड़े तैयार 
बरखा रानी आये तो द्वार