शीत भयंकर आज पड रहा सोच रही एक अबला
मेरे नन्हे के तन पर है नाम मात्र का झबला
नील गगन के साए में वो कथरी में लिपटा है
गर्मी पाने की चाहत में अपने में सिमटा है
सजल नेत्र से देखा माँ ने ,बांहों में उठाया
गोदी में ममता से लेकर ,सीने से लगाया
भींच लिया माँ ने नन्हे को ,दो आंसू टपकाए
छिपा लिया माँ ने आँचल में ,उष्मा कुछ मिल जाए
बेरहमों की दुनिया में नन्हे ,क्या करने तुम आये
सो गया बेफिक्र हो नन्हा , सीनें में मुँह छिपाए