Saturday 25 January 2014

सिसकता-ठिठुरता राष्ट्र


हमारा सिसकता-ठिठुरता राष्ट्र एक बार फिर से तैयार है 'गणतंत्र दिवस' मनाने के लिए .... ज़र्ज़र आधार शिला को उपेक्षित कर उपरी हिस्सा नये रंग-रोगन और चमक -दमक के साथ गर्व से इतराएगा ...... ........शहीदों को याद कर सम्मान और श्रधांजली एक निर्वाह भर है ..................समय की मांग तो है ही और बहुत आवशयक लगता है कि आज ६४ साल पुराना संविधान संशोधित हो .......
६४ साल के बाद प्राथमिक तीन आवश्यकताएं भी जनता की पूरी नहीं हो पायी हैं ........विकास की परिभाषा बदल चुकी है ..........कल राजपथ पर भारत दुनिया को चका-चौंध कर देगा कोई संदेह नहीं इसमें..............
.....इसके पीछे कितनी सिसकियाँ हैं कितने आंसू छिपे हैं किसी को आवश्यकता नहीं जानने की ......???
लेकिन सब कमियों और सब अवगुणों के बाद भी ये हमारा अपना घर है , हमारा अपना देश है .......और मुझे गर्व है कि में भारतीय हूँ .............
इसे गोरों के चंगुल से मुक्त कराने हेतु असंख्य वीर वीरगति को प्राप्त हुए ............कुछ तो आज तक इतिहास में ही खोये हैं ...लेकिन हम उन्हें दिल से नमन कर सकते हैं ,उन्हें याद कर सकते हैं ............उन सभी वीरों को भारत का कोटि -कोटि नमन ..........जय हिन्द ...............
..................वन्दे मातरम्...............