Sunday 25 December 2016

सोच विचार

किसी की भावना को आहत करने का कोई इरादा नहीं 
त्यौहार जीवन की एकरसता को ताज़गी और ख़ुशी से भर देते हैं ,सर्व धर्म समभाव की विचार धारा वाले वाले इस देश में असंख्य त्यौहार मनाये जाते हैं 
कोई भी त्यौहार मनाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए 
अगर आपकी ख़ुशी में कोई शामिल होता है तो आपका भी कर्तव्य है उसकी खुशियां बढ़ाई जाएँ
लेकिन अपने आप खुशियों में शामिल होने और थोपने में बहुत अंतर है 
कोई आपकी खुशियों को तो दीमक की तरह चट कर खोखला करता जाएं और अपनी खुशियों को सर पर सवार कर दे तो आपके पास आक्रोश के अलावा कुछ बचता है क्या ?????
यही हो रहा है होली ,दीवाली पर प्रदूषण, पानी औए नकली मिठाई का शोर मचा ऐसा कर देते हैं कि नयी पीढ़ी तो तौबा करती नज़र आती है
 हाँ आज क्रिसमस झूम कर मनाएगी ,नए साल के लिए कार्यक्रम बन रहे होंगे अभी से
 उस समय होने वाली आतिशबाजी भी लगता है पर्यावरण में सुधार लाती है ??
और ये परिणाम है सालों विदेशी सोच वाली सरकार के सत्ता में बने रहने का,जिसने भारतीय संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी,वामपंथ को बढ़ावा दिया और ईसाइयत का बीज गहराई तक रोप दिया जो अब वट वृक्ष बन गया है
UPA के दस साल ने तो देश को इटली बनाने का पूरा प्रयास किया और अगर समय रहते परिवर्तन न होता तो पता नहीं अभी और क्या हो रहा होता ??????
क्रिसमस ट्री के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भी किसी को खराब नहीं लगती 
अब तो  फादर जॉन जैसे लोग टीवी पर आकर ऐसे आँख दिखाते हैं जैसे ईसाई धर्म भारत का मूल धर्म हो 

Thursday 20 October 2016

#यादेंशरदपूर्णिमा

#यादेंशरदपूर्णिमा#चन्द्रमा#अमृत#
बचपन जैसी न चांदनी ,न चन्द्रमा ,न वो खुला सा आँगन और न ही शरद का अनुभव :)शरद कम ग्रीष्म ज़्यादा :)
स्मृति की गर्त हटाती हूँ तो दूध वाली बड़ी सी डोलची में मम्मी की बनाई स्वादिष्ट खीर जाली से ढकी है और आँगन में कपड़े सुखाने वाले तार पर बन्धी है ,सर्द अहसास है वहीं चटाई बिछा शॉल ओढ़े हम सब विराजमान हैं :) 
हंसी मज़ाक ,हल्ला-गुल्ला 
इस सबके बीच हाथ में धागा और सुई !!
चांदनी के धवल प्रकाश में सुई में धागा डालना है जिससे आँखों की रोशनी तेज़ हो सके | ये प्रक्रिया बार-बार दोहरानी है और फिर ये क्या !! यहां तो प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी 'मेने 30 बार तूने 20 बार 2-3 घण्टे इसी तरह बीत गए ,आँखें बोझिल हो चलीं आलस आने लगा तो चलो खीर अंदर रखे चटाई उठाये और चले निद्रा देवी के आगोश में :) सुबह स्वादिष्ट अमृतमयी खीर का प्रसाद वितरण होगा |
ये थी शरद पूर्णिमा की मधुर स्मृति :-D
सभी मित्रों को शरद पूर्णिमा की गुनगुनी शुभकामनाएं |


Monday 26 September 2016

सिंधु जल समझौता

# सिधुजलसंझौता
DNA देखा तो समझ आया कि----
दुनिया का पहला जल समझौता जिसमें विश्व बैंक का हस्तक्षेप !
अगर जल रोकते हैं तो कोई प्रबन्ध नही ,
बाँध बनाना भी चाहे तो 10-15 साल चाहिए |
अब प्रश्न ये कि कश्मीर समस्या हो या सिंधु समझौता
, हर समस्या को सुलझाने के लिये पंचायत का हस्तक्षेप क्यों ?
 इस समस्या को जन्म देने और इसे बेहद जटिल बनाने वाले ही आज 'कुछ करो-कुछ करो' चिल्ला रहे हैं ये और बात है कि 60-65 सालों में भी इस दिशा में कदम उठा कोई बाँध तक नही बना पाये जो आज रोके गए पानी की व्यवस्था कर पाते | ये कोई आज की समस्या तो है नहीं |
खैर अब पानी रोकना तो एकदम शायद सम्भव नही तो निर्णय कुछ सेंध लगाने और पानी पिला-पिला कर मारने का ही लगता है

Wednesday 14 September 2016

हिंदी दिवस

हिंदी भाषी प्रदेश से हूँ
हिंदी को प्यार करने वाले परिवार से हूँ ,हमेशा माता -पिता को अपना खाली समय पुस्तकों के बीच बिताते देखा
 एक छोटा सा पुस्तकालय भी देखा जो स्थानानुसार एक अलमारी में हमेशा बना रहा .........
जहाँ हम बच्चों के लिए भी हिंदी मासिक, पाक्षिक और अनेक पत्रिकाओं का प्रबंध हमेशा रहा ........
.हिंदी की क्लिष्टता को समझना और सहज भाव से अपनाना सिखाया लोकप्रिय लेखिका 'शिवानी' ने ........
जिनके दर्जनों उपन्यास आज भी हमारी धड़कन बने हैं ...
आज हमारे बीच नहीं हैं ...लेकिन उनकी लेखनी उनकी उपस्थित का सदा आभास देती रहेगी ........
हिंदी के हर शब्द को अपनाना स्वभाव में सम्मिलित रहा है ......
हिंदी भाषी समाचार पत्र की वर्ग पहेली भरना प्रिय शगल रहा .........
.शिक्षा--दीक्षा सरकारी स्कूल में हुई जहाँ एक सहज भाषा बोलते रहे ..
.लेकिन हिंदी माध्यम में कक्षा आठ के बाद हिंदी विषय पढने को नहीं मिला क्यों कि नियमानुसार विज्ञान वर्ग के लिए हिंदी विषय नहीं था 
लेकिन कोई असर नहीं हुआ ...............
आज भी हिंदी ही प्राथमिकता है .......

.जिस स्कूल में अध्यापन कर रही हूँ  वहां पहले अंग्रेजी पर ही ध्यान दिया जाता था जैसा कि सब जानते हैं हिंदी को गौण बना रखा था .......
.लेकिन में सुविचार हिंदी में लिखने प्रारम्भ किये तो उन्होंने मना करवा दिया .........
मैंने उनसे बात की और कहा जो भी हम श्यामपट पर लिखे वो कम से कम समझ आना चाहिए ........
हम लिख देते हैं कोई ध्यान नहीं देता ........
.कम से कम सप्ताह में तीन दिन हिंदी में भी लिखवाइए ........
उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया ...........
फिर उनकी बेटी ने स्कूल जाना प्रारंभ किया तो उन्हें लगा शायद मेरा कहना सही था ..........
और उन्होंने मेरी बात को मान लिया ...........
हिंदी का लेख भी सुधरवाने पर ध्यान दिया जाने लगा

जब में वहां बोलती थी तो कई अध्यापिका जो हिंदी भाषी नहीं थी कहती आप की हिंदी बहुत अच्छी है ...में मन में सोचती अगर आप उत्तर प्रदेश जाइए तो ऐसी ही अच्छी हिंदी आपको हर मुख से मिलेगी ...........
आज हिंदी दिवस पर मन में ये सब उमड़ आया .............
हिंदी मेरी पहचान है ........
.मेरा अभिमान है .........
भारत की शान है ..........
बस मेरी इस राष्ट्र भाषा को अपमानित ना होना पड़े कहीं .........
इसके सम्मान को बचाए रखना है और नयी पीढ़ी को भी इसकी अहमियत समझानी होगी
आज हिंदी दिवस पर समस्त हिंदी प्रेमियों को अनेक शुभकामनाएं ........

हिंदी को जानिये ................
जय हिंदी ...जय हिन्दुस्तान ............:)))))))))...........

Monday 5 September 2016

आभार

कदम-कदम पर दिया गया अनेकों लोगो का मार्ग दर्शन आज यहां तक ले आया ,माता-पिता के बाद औपचारिक प्राथमिक शिक्षा से लेकर अंतिम औपचारिक शिक्षा तक यात्रा बहुत रोचक ,ज्ञानवर्द्धक और स्मरणीय रही |
नही जानती आज कौन कहाँ हैं ,कैसे हैं लेकिन इस यात्रा में हर पड़ाव पर समस्त सहयोगियों ,मार्गदर्शकों का हार्दिक अआभार ,सभी को सादर नमन |
गुरु उत्सव की सभी को हार्दिक बधाई 

Wednesday 24 August 2016

क़र्ज़ चुकाना है

पाकिस्तान मणि शंकर अय्यर को बेहद पसन्द और सलमान खुर्शीद को बलूचिस्तान हस्तक्षेप गलत लगता है |
'दोनों ही लाहौरी नमक का क़र्ज़ अदा कर रहे हैं' |

अच्छे दिन

अच्छे दिन की सबकी परिभाषा हो सकती है मेरे लिए 
सबसे अच्छा रहा शपथ ग्रहण के बाद मोदीजी का गंगा आरती में शामिल होना ,जेएनयू के गद्दारों का खुलासा ,कश्मीर में सेना को आत्म रक्षा हेतु मिले अधिकार ,कई स्कूलों में होने वाले राष्ट्रगान के अपमान का खुलासा , वीर सावरकर को राष्ट्र का पहली बार नमन , लाल किले का केसरिया होना और सबसे बड़ी बात देश भक्ति का नकाब ओढ़े सलमान खुर्शीद के मन की बात का सामने आना | मेरे अच्छे दिन तो ऐसी ही घटनाओ से परिभाषित होते हैं 
आपके ??

क्या है अपना ?

नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान के बारे में बात कर लक्ष्मण रेखा लांघी : पाकिस्‍तान
मुहावरे तक तो हमारे प्रयोग कर रहे हो मियां नवाज़ अपना है क्या ,
सिर्फ आतंक ???????

Sunday 21 August 2016

एक सुझाव

'अगली बार मिलते हैं टोक्यो ओलिम्पिक में' इस वादे के साथ ओलिम्पिक का महाकुम्भ समाप्त और रियो से विदा हुए |
117 प्रतियोगी, दो पदक और 67 वाँ स्थान !!! किसी की कोई आलोचना नही न इस लायक हूँ में लेकिन एक सुझाव कि खिलाड़ियों से आशा रखे तो उन्हें सुविधाएं भी दी जाए उन्हें आज से ही चार साल बाद के लिए तैयार किया जाए खेल में मर रही खेल भावना को जीवित रखने के उपाय किये जाए ,सम्बंधित लोग कर सकते हैं पैसा भी मुझे नही लगता कोई बड़ी समस्या है और सबसे बड़ी बात अगर अधिकारी
अपने टिकट से पहले खिलाड़ी, कोच, फिजियो आदि का टिकट कटाये तो हर भारतीय आभारी होगा :)
 
जो खिलाड़ी ओलिम्पिक जैसी प्रतियोगिता में जाने का अधिकारी हो उसका परिश्रम ,लगन किसी भी मायने में कम नही हो सकता |
परिश्रम से खेलना अपना सौ प्रतिशत देना उनका काम ,जीतना उनकी आशा और परिणाम स्वीकार करना विनम्रता यही है एक खिलाड़ी की विशेषता :)
जीतने वाले खिलाड़ियों को मेरी हार्दिक बधाई लेकिन भाग लेने वाले अन्य खिलाड़ियों ने भी भारतीय ध्वज की छत्र-छाया में खूब परिश्रम दिखाया वो भी बधाई के पात्र हैं :)
सलाम सिर्फ उगते सूरज को नही , एक सलाम उन्हें भी किया जाए जो अपनी चमक दिखा अस्त हो गए जो
बेरोज़गारी के चलते कठिनता से जीवनयापन कर रहे हैं | कोई उपदेश या आलोचना नही सिर्फ 'मन की बात':-D

एक तथ्य

22 अगस्त 1921 गांधीजी ने विदेशी वस्त्रो की होली जलाई थी लेकिन एक तथ्य के अनुसार ये पावन कार्य 1906 में स्वदेशी का नारा देकर वीर सावरकर ने किया था उन्होंने सबसे पहले विदेशी वस्त्रों की होली जलाई थी |गांधी बाबा ने पुनरावृत्ति अवश्य की

Monday 23 May 2016

गौरव के पल

भारत को अंतरिक्ष में एक और बड़ी कामयाबी, भारत को अंतरिक्ष में एक और बड़ी कामयाबी, 
पहला मेड इन इंडिया स्पेस शटल की सफल लॉन्चिंग
  श्रीहरिकोटा से इसका सफल प्रक्षेपण कर लिया है। आरएलवी पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और फिर वापस वायुमंडल में प्रवेश करने में सक्षम है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रवक्ता ने आरएलवी-टीडी एचईएक्स-1 के सुबह सात बजे उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद कहा, ‘अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया।’ 
यह पहली बार है, जब इसरो ने पंखों से युक्त किसी यान का प्रक्षेपण किया है। यह यान बंगाल की खाड़ी में तट से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर उतरा। हाइपरसोनिक उड़ान प्रयोग कहलाने वाले इस प्रयोग में उड़ान से लेकर वापस पानी में उतरने तक में लगभग 10 मिनट का समय लगा। आरएलवी-टीडी पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का छोटा प्रारूप है।
आरएलवी को भारत का अपना अंतरिक्ष यान कहा जा रहा है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह लागत कम करने, विश्वसनीयता कायम रखने और मांग के अनुरूप अंतरिक्षीय पहुंच बनाने के लिए एक साझा हल है। इसरो ने कहा कि आरएलवी-टीडी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन अभियानों की एक श्रृंखला है, जिन्हें एक समग्र पुन: प्रयोग योग्य यान ‘टू स्टेज टू ऑर्बिट’ (टीएसटीओ) को जारी करने की दिशा में पहला कदम माना जाता रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, इसे एक ऐसा उड़ान परीक्षण मंच माना जा रहा है, जिस पर हाइपरसोनिक उड़ान, स्वत: उतरने और पावर्ड क्रूज फ्लाइट जैसी विभिन्न अहम प्रौद्योगिकियों का आकलन किया जा सकता है। ‘विमान’ जैसा दिखने वाला 6.5 मीटर लंबा यह यान एक विशेष रॉकेट बूस्टर की मदद से वायुमंडल में भेजा गया। इस यान का वजन 1.75 टन था। आरएलवी-टीडी को पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले रॉकेट के विकास की दिशा में एक ‘बेहद शुरूआती कदम’ माना जा रहा है। इसके अंतिम प्रारूप के विकास में 10 से 15 साल लग सकते हैं

Saturday 23 April 2016

स्मृतियाँ

चुरा लिए हैं कुछ पल मैंने ,बचपन की स्मृतियों से 
संग सखियों के व्यय करेंगे ,अपने स्मृति कलश भरेंगे 

स्मृतियों में गोदी दादी की ,हठ है और ठिनकना है 
मक्की की सौंधी रोटी संग ,शक्कर दूध और मखना है 

ओत -प्रोत माँ की झिडकी से ,मधुर स्मृति झांकी खिड़की से 
धूल ज़रा सी और हटाई ,माँ ने कपोल पर चपत जमाई 

कमरे में हैं कई खिलौने , केरम और शतरंज जमी है 
कभी साइकिल तेज़ चल रही ,संग सखियों के रेस लगी है 

अपने इस छोटे से अँगने ,स्मृतियाँ बिखरी है हर कौने 
उचल-कूद और हाथापाई , सचमुच हो गयी कभी लड़ाई 

हल्का सा छू लिया दीवार को ,गूंजा बीता हास -परिहास 
हंसी -ठिठौली और चिढाना ,गा रहे गाना आस -पास 

रसोई देख भावुक हो आई, कलुछ हाथ माँ पड़ी दिखाई 
स्वादिष्ट और सुगन्धित व्यंजन ,करते थे सबका अभिनन्दन 

मीठी प्यारी स्मृतियों में विचरण दूर-दूर तक कर आयी
स्मृति कलश को लगा ह्रदय से वर्तमान के दर पर आयी

Tuesday 19 April 2016

अच्छा प्रयास

नई सरकार बनने के बाद अब तक तीन ऐतिहासिक चीज़ें जो किसी भी कारण से बाहर थी वापस देश आ चुकी हैं !
2015 अक्टूबर----जर्मनी के चांसलर ने दसवी शताब्दी की माँ दुर्गा की मूर्ति वापस की जो 1990 में चोरी हुई थी और 2012 में जर्मनी के संग्रहालय में पायी गयी थी |
कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री 'स्पिफैन हार्पर' ने 'पैरट लेडी' नामक मूर्ती वापस की और ऑस्ट्रेलिया के तब के प्रधानमन्त्री टोनीएबट ने भारत दौरे के दौरान भारतीय पुरात्तव विभाग को उसके महत्व की चीज़ें लौटाई थी |अगर भारत कोहिनूर लाने में सफल रहता है तो एक और सफलता होगी |



Saturday 2 January 2016

इण्डिया नहीं भारत

एक प्रयास हम सब कर सकते हैं 
भारतवर्ष या भारत को इंडिया कहने से तो बचना होगा 
विशेषतया आज की पीढ़ी से गुज़ारिश इंडिया कहना बन्द कर दें देश हित में तो अच्छा नही बहुत अच्छा रहेगा
इसका अर्थ भी कोई अच्छा सन्देश नही देता 
भारत कितना सुंदर शब्द है 'भारत'!!!!
सोचना तो सरकार को भी चाहिए कितनी भी लम्बी प्रक्रिया हो लेकिन इस दिशा में कदम अवश्य उठाना चाहिए
वैसे हम अपने स्तर पर तो भारत कहना शुरू कर ही सकते हैं
जय भारत जय भारती वंदे मातरम्