Saturday 23 April 2016

स्मृतियाँ

चुरा लिए हैं कुछ पल मैंने ,बचपन की स्मृतियों से 
संग सखियों के व्यय करेंगे ,अपने स्मृति कलश भरेंगे 

स्मृतियों में गोदी दादी की ,हठ है और ठिनकना है 
मक्की की सौंधी रोटी संग ,शक्कर दूध और मखना है 

ओत -प्रोत माँ की झिडकी से ,मधुर स्मृति झांकी खिड़की से 
धूल ज़रा सी और हटाई ,माँ ने कपोल पर चपत जमाई 

कमरे में हैं कई खिलौने , केरम और शतरंज जमी है 
कभी साइकिल तेज़ चल रही ,संग सखियों के रेस लगी है 

अपने इस छोटे से अँगने ,स्मृतियाँ बिखरी है हर कौने 
उचल-कूद और हाथापाई , सचमुच हो गयी कभी लड़ाई 

हल्का सा छू लिया दीवार को ,गूंजा बीता हास -परिहास 
हंसी -ठिठौली और चिढाना ,गा रहे गाना आस -पास 

रसोई देख भावुक हो आई, कलुछ हाथ माँ पड़ी दिखाई 
स्वादिष्ट और सुगन्धित व्यंजन ,करते थे सबका अभिनन्दन 

मीठी प्यारी स्मृतियों में विचरण दूर-दूर तक कर आयी
स्मृति कलश को लगा ह्रदय से वर्तमान के दर पर आयी

Tuesday 19 April 2016

अच्छा प्रयास

नई सरकार बनने के बाद अब तक तीन ऐतिहासिक चीज़ें जो किसी भी कारण से बाहर थी वापस देश आ चुकी हैं !
2015 अक्टूबर----जर्मनी के चांसलर ने दसवी शताब्दी की माँ दुर्गा की मूर्ति वापस की जो 1990 में चोरी हुई थी और 2012 में जर्मनी के संग्रहालय में पायी गयी थी |
कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री 'स्पिफैन हार्पर' ने 'पैरट लेडी' नामक मूर्ती वापस की और ऑस्ट्रेलिया के तब के प्रधानमन्त्री टोनीएबट ने भारत दौरे के दौरान भारतीय पुरात्तव विभाग को उसके महत्व की चीज़ें लौटाई थी |अगर भारत कोहिनूर लाने में सफल रहता है तो एक और सफलता होगी |